मैं दीपमाला देवी जरंगड़ी दक्षिणी पंचायत से हूं। मैं अपने पंचायत में पर्यावरण सखी के रूप में कार्य करती हूं। मैं देशज अभिक्रम से जुड़कर वायु प्रदूषण पर काम कर रही हूं। इस संस्था के जरिए हमारे क्षेत्र कई बदलाव हुए हैं। हमने अपने क्षेत्र में गृहणियों को जागरूक किया और अब वे अपने घरों में अधिक-से-अधिक पौधारोपण कर रही हैं। ऐसे परिवार जिनके पास जगह नहीं है, वे छोटे-छोटे डब्बों में पौधे लगा रहे हैं। हमारे इस कार्य में बच्चे और पुरुष भी सहयोग कर रहे हैं। हमारे क्षेत्र में आम, महुआ, पीपल, नीम, अमरूद, आँवला के पौधे लगाए गए हैं।
साथ ही हमारी कोशिशों से कोयले के चूल्हे पर खाना बनाने वाली महिलाएं अब धुँआ रहित चूल्हे का प्रयोग कर रही हैं। इन महिलाओं ने बताया कि धुंआ वाले चूल्हे से उन्हें बहुत परेशानी होती थी और हमारे द्वारा जागरूक किए जाने के बाद वे धुंआ रहित चूल्हे पर खाना पकाती हैं। हमने महिलाओं को सीड बॉल बनाने का तरीका भी सिखाया। बरसात के मौसम में हम सभी महिलाएं सीड बॉल तैयार कर इसे किसी खाली स्थान में गाड़ देते हैं। इन सीड बॉल्स से 8 पौधे निकले हैं जिनमें से ज्यादातर पौधे आम के हैं। हम सभी महिलाओं, बच्चों और पुरुषों को स्वास्थ्य संबंधी बातों की जानकारी भी देते हैं। इस कार्य में सहिया, आंगनबाड़ी सेविका, ANM हमारा सहयोग करती हैं। हमारे प्रयासों से क्षेत्र में AQI मॉनिटर और स्प्रिंकल ग्रीन नेट की जगह स्टील की शीट लगाई गई है। हमारे क्षेत्र में यह सारा कार्य सीसीएल ने किया है।
मैंने अन्य पर्यावरण सखियों रेखा देवी, ज्योति कुमारी, सुशीला देवी के साथ सीसीएल पदाधिकारी से बार-बार मुलाकात कर अपनी बातों को सामने रखा। ये सारे कार्य हमारी इन कोशिशों का ही नतीजा है। हमारा यह पूरा प्रयास रहेगा कि हम आगे भी अपने क्षेत्र में अच्छा कार्य करें जिससे कि हमारे क्षेत्र में और बेहतरी आए। हमारे क्षेत्र में अब तक 80 आम, 50 पीपल, 15 नीम, 15 महुआ तथा 10 सागवान के पौधे लगाए गए हैं। हम सभी ने यह शपथ लिया है कि हम अधिक से अधिक पौधारोपण करेंगे, पौधों की देखभाल करेंगे तथा सभी को स्वच्छ वायु उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे।
मैं झारखण्ड के बोकारो जिला के कथारा गांव की रहने वाली हूं। मेरे गांव के पास कई कोयला खदान, एक बड़ा पावर प्लांट और गैस फैक्ट्री स्थित है जिनसे काफी वायु प्रदूषण होता है।
देशज अभिक्रम के AQI मॉनीटर से अपने गांव की हवा की गुणवत्ता मापने पर हमारे गांव में वायु प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा पाया गया। इस भीषण समस्या से हमारा गांव-समाज बहुत ज्यादा दुष्प्रभावित था। उसके बाद 9 सितम्बर, 2022 को हमारे क्षेत्र में माताओं का सम्मलेन किया गया। उस सम्मलेन में जाने-माने लोग, जन प्रतिनिधि, सीसीएल पदाधिकारी और अन्य लोग शामिल हुए। इन्होंने लोगों को जागरुक किया जिससे हमारे काम में काफी सहयोग मिला। उसके बाद सभी ने बरसात में ज्यादा-से-ज्यादा पेड़ लगाने का संकल्प लिया और फिर हमारे इलाके में बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया गया। साथ ही नए AQI मॉनीटर भी लगाए गए और बंद पड़े मॉनीटर्स को चालू किया गया। ये सभी अब नियमित रूप से कार्य कर रहे हैं। इसके बाद स्प्रिंग वाटर मशीन भी लगाया गया जिससे समय-समय पर पौधों पर पानी का छिड़काव किया जाता है। अब इस क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर सामान्य है और हम सभी लोग यही चाहेंगे कि आगे भी ऐसा ही बना रहे।
मेरा नाम रेखा देवी है। मैं बोकारो जारंगडीह उतरी पंचायत की निवासी हूं। मैं एक वर्ष से देशज अभिक्रम के साथ पर्यावरण सखी के रूप में जुड़ी हुई हूं। इस संस्था से जुड़कर मैंने बहुत कुछ सीखा है और अपने इलाके को स्वच्छ बनाने के लिए बहुत सारे कार्य किए हैं। हमें यह महसूस हुआ कि अपना पर्यावरण स्वच्छ रखने के लिए अपने क्षेत्र में कोयले से हो रहा प्रदूषण कम करना जरूरी है। यह लक्ष्य हासिल करने के लिए महिलाओं के सहयोग से हम सभी पर्यावरण सखियों ने अपने-अपने पंचायत में सर्वे किया।
फिर मैंने अपने क्षेत्र के परियोजना पदाधिकारी, जनरल मैनेजर, कार्मिक पदाधिकारी से बात की। मैंने बताया कि हमारी संस्था की AQI मशीन के आंकड़ों के मुताबिक हमारे क्षेत्र में प्रदूषण काफी ज्यादा है। ऐसे में मैंने अपने क्षेत्र में हरे परदे का इस्तेमाल करने की जरुरत बताई जिससे कि आस-पास के लोगों को धूल से परेशानी ना हो। साथ ही सड़क पर उड़ने वाली धूल कम करने के लिए जगह-जगह पानी का छिड़काव करने की ज़रूरत भी मैंने बताई। मेरी बातों पर अधिकारियों ने ध्यान दिया और फिर उन्होंने हरे पर्दे का उपयोग सुनिश्चित किया। साथ ही सड़क एवं इसके आस-पास पानी का छिड़काव करने के लिए वॉटर स्प्रिंकलर लगावाए गए। इन उपायों के कारण आजकल धूल उड़ना काफी कम हो गया है। समय के साथ मौसम की सख्ती के कारण हमारे क्षेत्र में लगाए गए हरे परदे बेकार हो गए। ऐसे में मैंने फिर से अधिकारियों से बातचीत की और उनके द्वारा इस बार धातु के चादर लगवाए गए। यह सब कार्य 2022 के जनवरी शुरू किए गए थे जो आज भी जारी हैं।
धीरे-धीरे मैंने अपने पंचायत में पौधारोपण भी शुरू किया। मैंने महिलाओं को अपने-अपने क्षेत्र को साफ और स्वच्छ के संबंध में भी जागरूक किया। इस कार्य के लिए हमने पंचायत स्तर पर महिलाओं को जोड़ा और अभी तक 200 से ज्यादा महिलाएं इस काम में हमारा सहयोग कर रही हैं। हमने हर घर में किचन गार्डन तैयार करवाने का काम भी शुरू किया। इसका मकसद महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ पर्यावरण स्वच्छ बनाना भी है।
हमारे बोकारो क्षेत्र में 5 पर्यावरण सखी कार्यरत हैं। हमने मिलकर अपने-अपने पंचायत को स्वच्छ एवं प्रदूषण रहित बनाने हेतु पंचायत स्तर पर कुछ कार्य किए हैं। जैसे :
* अपने पंचायत में पौधारोपण।
* सरकारी कर्मचारी से मिल कर उन्हें अपने पंचायत में फैल रही गंदगी के बारे की जानकारी दी।
* आंगनवाड़ी की महिलाओं से मिलकर उन्हें और वहां के बच्चों को पर्यावरण के बारे में जागरूक किया। साथ ही वहां पौधारोपण भी किया गया।
* अपने पंचायत के मुखिया, वार्ड सदस्य और समिति सदस्यों से मिल कर उनसे पंचायत में कूड़ादान लगाने तथा समय-समय पर इसके साफ-सफाई की बात की।
* पर्यावरण दिवस के अवसर पर रैली और स्कूल में कार्यक्रम।
• अपने-अपने पंचायत में किचन गार्डन तैयार कराया।
मैं झारखंड के बोकारो जिले के छोटे से गाँव कथारा की रहने वाली हूँ। मैं एक साधारण गृहिणी थीं, जिसे अपने क्षेत्र में व्याप्त वायु प्रदूषण की गंभीरता के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। मेरे गाँव के पास कई कोयला खदानें और एक बड़ा पावर प्लांट है। इनसे निकलने वाले धुंआ और अन्य प्रकार के प्रदूषण यहाँ के लोगों के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुके थे।
मैं 'देशज अभिक्रम' से वर्ष 2022 में पर्यावरण सखी के रूप में जुड़कर वायु प्रदूषण जागरूकता कार्यक्रम की हिस्सा बनी। शुरुआत में, मुझे वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन धीरे-धीरे इस संगठन के प्रशिक्षण और जागरूकता सत्रों के जरिए मैंने समझा कि वायु प्रदूषण न केवल स्वास्थ्य बल्कि पूरे पर्यावरण के लिए कितना खतरनाक है।
मैंने पाया कि मेरे गाँव और इसके आसपास के लोग वायु प्रदूषण को लेकर बहुत चिंतित हैं लेकिन जागरूकता की कमी के कारण इस गंभीर समस्या के समाधान के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। ऐसे में मैंने अपने क्षेत्र की महिलाओं को संगठित किया और इस स्थिति को बदलने का संकल्प लिया। इसके लिए हमने 'पर्यावरण सखी' नामक एक समूह का गठन किया। इस समूह का उद्देश्य वायु प्रदूषण के खिलाफ जागरूकता फैलाना और समाधान के लिए सामूहिक प्रयास करना था। इस समूह ने पंचायत प्रतिनिधियों और स्थानीय सीसीएल एवं डीवीसी प्रबंधन के साथ मिलकर सड़कों पर पानी छिड़काव की व्यवस्था करवाई ताकि धूल कम उड़े। साथ ही, समूह ने हरियाली बढ़ाने और वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए सैकड़ों पौधे लगाए।
पर्यावरण सखी समूह ने न केवल स्थानीय लोगों को जागरूक किया बल्कि प्रशासन को भी इस समस्या के समाधान के लिए प्रेरित किया। इन निरंतर प्रयासों से स्थानीय प्रशासन ने भी वायु प्रदूषण कम करने के लिए अपने प्रयास तेज कर दिए। अब, मेरे गाँव और आसपास के क्षेत्र में वायु प्रदूषण पर सवाल पूछे जा रहे हैं और इसके समाधान के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। यह हमारे संगठन की कोशिशें से संभव हुआ है।
मेरी यात्रा ने दिखाया कि जागरूकता और सामूहिक प्रयासों से बड़ी से बड़ी समस्याओं का भी समाधान संभव है। हमारी कहानी पर्यावरण और समाज की बेहतरी के लिए काम करने वालों के लिए प्रेरणा है। मेरी यात्रा के दौरान मुझे अहसास हुआ कि एक व्यक्ति की पहल और दृढ़ संकल्प से भी व्यापक परिवर्तन लाया जा सकता है।
महुदा: छत्रुटाड पंचायत में देशज अभिक्रम के जागरूकता कार्यक्रम से लोग प्रदूषण के प्रति जागरूक हुए। यह पंचायत धनबाद जिला के बाघमारा प्रखंड का हिस्सा है। इस कार्यक्रम ने ग्रामीणों को पंचायत स्थित बिनोद बिहारी फुटबाल ग्राउंड के किनारे-किनारे पौधारोपण के लिए प्रेरित किया। भाटडीह ओपी प्रभारी बालमुकुंद सिंह, संतोष ठाकुर, महुदा कॉलेज के सचिव दीपनारायण शर्मा ने बारी-बारी से यह काम ग्रामीणों, खास कर युवाओं के सहयोग से किया। अभियान के दौरान आम, जामुन, नारियल, बरगद, कटहल, अमरूद, पीपल आदि के कुल 15 पौधे लगाए गए। इनकी सुरक्षा के लिए पौधा के चारों ओर हरे रंग का जाली भी लगाई गई। साथ ही सभी ने पेड़ की देखभाल का संकल्प भी लिया। लोगों ने यह संकल्प लिया है की सभी ग्रामीण एक-एक पौधा लगाएंगे और इसकी अपने बच्चे की तरह देख भाल करेंगे। जागरूकता कार्यक्रम के जरिए ग्रामीणों ने यह समझ लिया है कि बढ़ती प्रदूषण से अपने गांव और इस दुनिया को बचाने के लिए सबसे पहले अपने पंचायत के जल, जंगल और जमीन को बचाना होगा। वे समझ गए हैं कि ऐसा कर ही वे आने वाली पीढ़ी को प्रदूषण मुक्त गांव दे पाएंगे और वह स्वच्छ हवा में सांस ले सकेगी। ग्रामीण अब खुलकर ऐसी राय व्यक्त भी करते हैं। इस कार्यक्रम ने पौधारोपण के जरिए प्रदूषण कम करने का अभियान शुरू करने के लिए लोगों को प्रेरित किया है।
मैं हथुडीह पंचायत के कुमारडीह गांव में पर्यावरण सखी के रूप में काम करती हूँ। बीते दो वर्षों से मैं बैठक और जागरूकता कार्यक्रमों के जरिए लोगों को वायु प्रदूषण और इसके स्वास्थ्य दुष्प्रभावों पर जानकारी दे रही हूँ। मेरी कोशिशों से महिलाओं अब ज्यादा जिम्मेदार बन गई हैं। वायु प्रदूषण का मुद्दा हमारे गांव और पूरे पंचायत से जुड़ा है और इसे दूर करने के लिए हम सबको पहल करनी होगी। हमें समय-समय पर आसपास की सफाई और स्वास्थ्य जांच करवाना चाहिए। गांव के बीच स्थित चापाकल का पानी गांव की सड़क को गंदा करता था। यह गंदा पानी आंगनबाड़ी के सामने भी जमा हो जाता था। इस पानी से आंगनबाड़ी के बच्चों को भी आने-जाने में काफी तकलीफ हो रही थी और इसमें पनपने वाले मच्छर और मक्खी से लोग बीमार हो रहे थे। ऐसे में बैठक कर तय किया गया कि सभी मिल-जुल कर अपने पंचायत को साफ़ और स्वच्छ बनाएंगे। फिर चापाकल का गंदा पानी जमा करने के लिए एक सोख्ता गड्ढा बनाया गया। इससे सड़क पर होने वाले जल जमाव से छुटकारा मिल गया। इस सोखते गड्ढे को बांस से ढंक कर रखा जाता है ताकि पशु या बच्चे उसमें ना गिरे। साथ ही इसमें जमा पानी का सिंचाई में उपयोग होता है। इस तरह देशज अभिक्रम के प्रयासों से पंचायत में छोटे-छोटे बदलाव दिखने लगे और ग्रामीण वायु प्रदूषण के मुद्दे को समझने लगे।
आज बहुत दिनों के बाद अपने आंगन में बैठी आसमान की ओर टकटकी निगाहों से ताके जा रही थी। तभी आसमान में काले बादल घिर आए और मेघों की गर्जना के साथ बरसात का आगमन हुआ। चलो ठीक है अब सारे जीव-जंतु इस भीषण गर्मी में राहत की सांस लेंगे। यह सोचते-सोचते मैं प्रकृति की मनमोहक छटाओं में खो गई। सहसा मेरे अंदर बीती हुई यादों का सैलाब कौंध उठा और मैंने यादों को कलमबद्ध करने का सोचा।
ये बातें उन दोनों की है जब मैं कुरपनिया बाज़ार के मुख्य सड़क के किनारे छोटा सा ब्यूटी पार्लर चलाती थी। पार्लर में महिलाएं अच्छा संख्या में आती थीं जिससे मेरी ठीक-ठाक आमदनी हो जाती थी। इस आमदनी से मैं अच्छे से परिवार का भरण-पोषण कर रही थी। हालात तब बिगड़ने लगे जब खासमहल कोयला खदान का विस्तारीकरण किया जाने लगा। सीसीएल के बंद पड़े खदानों में बोकारो थर्मल पावर प्लांट का छाई डंप किए जाने से परेशानी और बढ़ने लगी। छाई भरे ओवरलोडेड डंपर कुरपनिया-संडे बाजार के मुख्य जर्जर सड़क से गुजरते बहुत सारी छाई सड़क पर ही गिराते हुए आगे बढ़ते थे। इससे वहाँ रहना, सांस लेना और चलना बहुत मुश्किल हो गया था। आए दिन वहाँ वाहन दुर्घटनाएं होती रहती थीं। अनेक समाजिक संगठनों ने आंदोलन कर इसका पुरज़ोर विरोध किया। इसका असर मेरे पार्लर पर भी पड़ा और पार्लर बंद करना पड़ा। इतना कुछ होने के बाद भी इस जानलेवा प्रदूषण की भयावहता का एहसास मुझे नहीं हो रहा था। मुझे यह सब सामान्य लग रहा था। इस बीच एक दिन सामाजिक संस्था देशज अभिक्रम के शेखर सर से सहसा मुलाकात हुई और उन्होंने मुझे वायु प्रदूषण के ख़िलाफ़ संघर्ष में पर्यावरण सखी के रुप में शामिल होने के लिए कहा। मैं बहुत खुश एवं उत्साहित हुई कि मुझे यह नेक काम करने और बहुत कुछ सीखने का अवसर मिलेगा। समय-समय पर कभी रांची तो कभी अपने क्षेत्र तो कभी बैंगलुरू में हमारी जैसी अनेकों पर्यावरण सखियों को प्रशिक्षण मिला। इस दौरान अनेक पर्यावरणविदों ने वायु प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, जंगल काटने के बढ़ते खतरों, प्रदूषण से होने वाली बीमारियां एवं इसके बचाव संबंधी जानकारियाँ एवं सुझाव हमारे साथ साझा की। इसके बाद देशज अभिक्रम की देखरेख में AQI माॅनिटर से मेरे क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर वायु गुणवत्ता की जांच की गई। इस जांच में वायु गुणवत्ता के खतरनाक स्तर का पता चला लेकिन बड़े वृक्षों के आसपास वायु गुणवत्ता का स्तर सामान्य था। इससे मैं बहुत आश्चर्यचकित हो गई। इसके बाद देशज अभिक्रम ने क्षेत्र के विभिन्न अस्पतालों में जाकर वहाँ के डॉक्टरों के साथ अपने संस्था का उद्देश्य साझा करने की जिम्मेदारी मुझे सौंपी। इस दौरान हमने क्षेत्र में वायु प्रदूषण से होने वाले गंभीर बीमारियों से पीड़ित रोगियों का आंकड़ा साझा करने का निवेदन भी डॉक्टरों से किया। रोगियों के आंकड़ों और जानकारी से वायु प्रदूषण की भयावह स्थिति का पता चला और मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई। इसके बाद पर्यावरण सखियों की अगली बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अपने-अपने क्षेत्र में हर घर जाकर वायु प्रदूषण के बारे में सभी को जागरूक करेंगे। फिर ग्रामीणों के साथ छोटे-छोटे समूहों में पर्यावरण संरक्षण एवं वायु प्रदूषण से निपटने के लिए बैठक कर चर्चा की गई। इसमें समस्या से निपटने संबंधी ग्रामीणों के सुझावों पर भी गौर किया गया। इनमें से एक सुझाव यह था कि हम सभी लोग अपने बच्चों के जन्मदिन पर वृक्षारोपण करेंगे और अपने आस-पास सफाई रखेंगे एवं कूड़ा-कचरा नहीं जलायेंगे। देशज अभिक्रम के बैनर तले हम लोगों ने ग्रामीणों को 'दीदी बाड़ी बगीचे' के लिए प्रोत्साहित किया। ग्रामीणों ने यह आईडिया पसंद कर खाली पड़े जगहों, जहाँ पहले कूड़ा-कचरा फेंका जाता था, पर 'दीदी बाड़ी बगीचे' बना कर फूल और सब्जियां उगाना शुरू किया। इस बगीचे से ग्रामीणों को भी लाभ हुआ और साथ ही आस-पास का पर्यावरण भी स्वच्छ हुआ। इन सभी कामों में जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ समाज के हर वर्ग का पूरा सहयोग मिला जिससे मन भावविभोर हो गया। इसके बाद 2022 से हर वर्ष 5 जून को सैंकड़ों ग्रामीणों के साथ वृक्षारोपण एवं प्रभात फेरी कर पर्यावरण दिवस मनाया जाने लगा और पर्यावरण बचाने का संकल्प लिया गया। 9 सितम्बर, 2022 को कथारा में माताओं का सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें करीब 600 ग्रामीण महिलाओं के साथ-साथ कुरपनिया, बेरमो पूर्वी, जरंगडीह उत्तरी-दक्षिणी, कथारा के बोड़िया उत्तरी एवं दक्षिणी पंचायत के मुखिया, पंचायत समिति, वार्ड सदस्य, जिला परिषद् सदस्य, बेरमो और गोमिया विधायक, सांसद, सीसीएल पदाधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी शामिल हुए। इन सबने वायु प्रदूषण से निपटने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई और सभी से अपने आस-पास अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण का आवाहन किया और इसका संकल्प लिया। फिर 14 जून, 2023 को संडे बाज़ार स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय के विद्यार्थियों के बीच पर्यावरण पर निबंध, चित्रकला, लेखन और कविता प्रतियोगिता आयोजित की गई। इस कार्यक्रम में बच्चों को पर्यावरण के बारे में विशेष जानकारी देकर जागरूक किया गया और सभी के बीच उपहार एवं मिठाई बांटी गई। यह कार्यक्रम बच्चों के साथ-साथ विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं प्रधानाचार्य के सहयोग से सफलतापूर्वक आयोजित हुआ और इससे उनमें पर्यावरण के बारे में सकारात्मक बदलाव आया। कुरपनिया संडे बाज़ार की सीमा पर पहले कचरा फेंका जाता था। बेरमो विधायक श्री कुमार जयमंगल सिंह जी के सहयोग से पहले यह स्थान साफ़ कराया गया और फिर 23 नवंबर, 2023 को पहाड़ी धाम मंदिर तक 400 फीट लंबी पीसीसी सड़क का उद्घाटन हुआ। इस सड़क के दोनों ओर नीम के पेड़ लगाए गए हैं। बेरमो पूर्वी और कुरपनिया पंचायत के मुखिया से निवेदन कर अनेक स्थानों कर कचरा घर बनाया गया। यहाँ के ग्रामीणों के साथ वायु प्रदूषण से होने वाले बीमारियों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई और उन्हें इससे बचाव के उपाय भी बताए गए। "देशज अभिक्रम" संस्था के प्रयासों से यहाँ के ग्रामीणों की सोच एवं इस क्षेत्र में हुए सकारात्मक बदलावों को देख मन बहुत ही प्रफुल्लित एवं भावविभोर हो जाता है। आज देशज अभिक्रम ने एक साधारण लड़की को पर्यावरण की ज्योति बना दिया। मैं हर दिन वायु प्रदूषण से बचाव और पर्यावरण संरक्षण के लिए संघर्ष करती हूँ। मेरी कोशिश है कि अपने पर्यावरण को फिर से स्वर्ग जैसा बनाया जाए। मेरा मानना है कि जब मेरी जैसी आम लड़की पर्यावरण की बेहतरी के लिए इतना बदलाव ला सकती है तो अगर पूरे विश्व के लोग पर्यावरण मित्र बन जाएं तो पर्यावरण संरक्षण के लिए बहुत सारे कार्य किए जा सकते है। तो यह रही "पर्यावरण की ज्योति" की कहानी यानी मेरी कहानी, एक "पर्यावरण सखी" की कहानी।
महुदा: महुदा के ग्रामीण सालों से घर का कचड़ा बाहर खुले में फेंक दिया करते थे। यह गाँव धनबाद जिला के बाघमारा प्रखंड के महुदा पंचायत में स्थित है। इस बुरी आदत से गर्मी के दिनों में हवा से कचड़ा घरों में घुस जाता था। इससे बीमारी फैलने का डर बना रहता था। बरसात में इस गंदगी से बदबू फैलती थी जिससे राहगीरों के साथ-साथ गांव वालों को भी सांस लेने में कठिनाई होती थी। कचड़ा से प्रदूषण फैलना गांव की सबसे बड़ी समस्या में एक थी। मैंने देशज अभिक्रम से जुड़कर गाँव को प्रदूषण मुक्त करने के लिए काम करना शुरू किया। इसके लिए मैंने ग्रामीणों को जागरूक किया और फिर ग्राम सभा की बैठक में कचड़ा रखने के लिए कूड़ा दान बनाने की योजना बना कर इसे पंचायत के मुखिया को सौंपा। बाद में मुखिया ने पूरे गांव में कूड़ा दान का निर्माण करवाया। अब ग्रामीण कूड़ेदान में कचड़ा डालते हैं जिससे उन्हें कचड़े से होने वाली प्रदूषण से मुक्ति मिल गई है। इन सब जानकारियों और सुविधा के लिए ग्रामीण देशज अभिक्रम के साथ साथ मुझे भी धन्यवाद देते हैं।
मैंने देशज अभिक्रम से जुड़ कर ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों को प्रदूषण की रोक थाम के लिए जागरूक करना शुरू किया। मेरा कार्य क्षेत्र धनबाद जिला के बाघमारा प्रखंड के तेतुलिया पंचायत 2 के भाटडीह कॉलोनी, भाटडीह बस्ती, भाटडीह घोड़ा और तेतुलिया गाँव थे। इस दौरान लोगों ने बताया कि उन्हें टंकी का गंदा पानी इस्तेमाल करना पड़ता है। इस टैंक में दामोदर नदी का प्रदूषित पानी पंप किया जाता है। ग्रामीण यही गन्दा पानी पीने, नहाने से लेकर अन्य सभी कामों में इस्तेमाल करते थे। ऐसे में वे कई तरह की बिमारियों का शिकार हो रहे थे। इससे निपटने के लिए मैंने ग्रामीणों का एक प्रतिनिधि मंडल बनाया जिसने भाटडीह कोलियोरी के बीसीसीएल पदाधिकारियों से सामने अपनी समस्याओं को प्रस्तुत किया। इस पहल के बाद बीसीसीएल प्रबंधक ने पानी साफ करने के लिए वाटर फिल्टर लगाया, इससे ग्रामीणों और मजदूरों को साफ पीने का पानी मिलने लगा और उन्हें प्रदूषित पानी से मुक्ति मिली।
महुदा : कुलटाड़ गांव धनबाद जिला के बाघमारा प्रखंड के पोडुगोडा पंचायत के अंतर्गत आता है। यहाँ देशज अभिक्रम ने अपने कार्यक्रमों के जरिए लोगों को प्रदूषण के प्रति जागरूक किया है। इससे प्रेरित होकर कुलटाड़ सरकारी विधालय के सामने प्रदूषण कम करने के लिए पौधारोपण किया गया। देशज अभिक्रम के जरिए लोगों में यह बड़ा बदलाव आया और उन्होंने पौधारोपण को एक अभियान बना लिया।
कुलटाड़ के ग्रामीणों ने यह संकल्प भी लिया है कि सभी ग्रामीण एक-एक पौधा लगाएंगे और अपने बच्चे की तरह रोज इसकी देखभाल करेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि इसका फायदा उनके साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों को भी मिलेगा। उनका मानना है कि बढ़ते प्रदूषण से इस गाँव और दुनिया को बचाने के लिए सबसे पहले अपने पंचायत के जल, जंगल और जमीन को बचाना होगा। ऐसा कर ही वे आने वाली पीढ़ी को प्रदूषण मुक्त गांव दे सकेंगे।